Add To collaction

मानसरोवर--मुंशी प्रेमचंद जी


मनोवृत्ति मुंशी प्रेम चंद

1
एक सुन्दर युवती, प्रातःकाल गाँधी पार्क में बिल्लौर के बेंच पर गहरी नींद में सोयी पायी जाय, यह चौंका देनेवाली बात है। सुन्दरियाँ पार्कों में हवा खाने आती हैं, हँसती हैं, दौड़ती हैं, फूल-पौधों से खेलती हैं, किसी का इधर ध्यान नहीं जाता, लेकिन कोई युवती रविश के किनारेवाले बेंच पर बेखबर सोये, वह बिल्कुल गैरमामूली बात हैं, अपनी ओर बलपूर्वक आकर्षित करनेवाली। रविश पर कितने आदमी चहलकदमी कर रहे हैं, बूढ़े भी, जवान भी, सभी एक क्षण के लिए वहीं ठिठक जाते हैं, एक नज़र वह दृश्य देखते हैं और तब चले जाते हैं। युवक-वृन्द रहस्य-भाव से मुस्काते हुए, वृद्ध-जन चिन्ताभाव से सिर हिलाते हुए और युवतियाँ लज्जा में आँखें नीची किये हुए।

   1
0 Comments